सतीश कुमार महेंद्रगढ़ हरियाणा
नारनौल06फरवरी
आज/अलवर। लगभग 20 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद सरिस्का का टाइगर एसटी 2303 वापस बफर जोन के जंगल सरेटा खरेटा की तरफ 6 फरवरी को आ गया है। पग मार्क के आधार पर वन कर्मियों ने टाइगर के सरिस्का के बफर जोन के जंगल में पहुंचने का दावा किया है। राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा ने भी वन कर्मियों की टीम को बधाई दी है।
वनकर्मी रामवीर गुर्जर ने बताया कि टाइगर एसटी 2303 के पगमार्क बफर जोन के जंगल सरेटा खरेटा की तरफ मिले हैं। जिसके आधार पर माना गया है कि टाइगर वापस जंगल में लौट आया है जिसके पगमार्क 1 दिन पहले हमीरपुर के आसपास मिले थे। उससे पहले ततारपुर के पास के गांव में पगमार्क मिले थे। वहां रायपुर गांव में टाइगर ने एक नीलगाय का शिकार भी किया था। इसके बाद अब टाइगर के जंगल में पहुंचने की बात कही गई है, जो सबके लिए राहत की बात है।
असल में टाइगर के कारण किसान खेतों में जाने से डर रहे थे। अब अपना काम कर सकेंगे वैसे तो करीब 17 जनवरी के लगभग दो माह से टाइगर जंगल से बाहर ही घूमा है। लेकिन गत 20 दिन से सरिस्का की टीम टाइगर के पीछे-पीछे चल रही थी। जो खेतों से होते हुए हरियाणा के रेवाड़ी जिला धारुहेड़ा साहबी क्षेत्र के गांव खरखड़ा, भटसाना, बुढ़ी बावल तक जा चुका है। खुशखेड़ा व रेवाड़ी के पास दो गांव में दो जगह पर टाइगर ने अटैक भी किया। जिसमें एक वनकर्मी हीरालाल भी घायल हुआ था जबकि धर्म सिंह दहाड़ से बेहोश हो गया, जिसका इलाज जारी है। रेवाड़ी के धारूहेड़ा क्षेत्र में 4 दिन में उसने चार बार लोकेशन बदली। इसमें ततारपुर खालसा, भटसाना, खरखड़ा और जड्थल शामिल है। भटसाना में इसे पकड़ने के लिए दो बड़े पिंजरे भी लगाए गए। एक-दो जगह भैंस के कटड़े भी बांधे गए तथा इलाका में कटड़े की आवाज वाले सायरन भी बजाए गए लेकिन टाइगर सामने नहीं आया। टाइगर बेहद फुर्तीला जानवर होता है दूसरा वह शांत माहौल का प्राणी है, शोर सुनते ही भाग जाता है।
इसे पूर्व उसका मूवमेंट राजस्थान के किशनगढ़ बांस वन मंडल रेंज के अंतर्गत इस्माइलपुर व उसके आसपास के इलाके में मूवमेंट था। 17 जनवरी को टाइगर अचानक रिजर्व इलाके कैसे निकल कर खेतों के रास्ते उत्तर दिशा की ओर मूवमेंट कर गया। उसके पैरों के निशान राजस्थान में ही कोटकासिम के बसई वीरथल गांव में देखे गए। खुशखेड़ा में उसने एक किसान पर भी हमला किया था। हरियाणा और राजस्थान के वनकर्मी उसके पीछे लग रहे। इसके बाद टाइगर ने दोबारा वापसी की और बहरोड़ क्षेत्र के बर्ड़ोद , बानसूर व मुंडावर के गांवों में टाइगर का मुवमेंट रहा।
टाइगर के कॉलर आईडी ना होने के कारण मुश्किलें आई क्योंकि महज 4 साल की उम्र का था। दूसरा कारण खेतों में सरसों की फसल का होना भी रहा। दिन में टाइगर सरसों की फसल में दुबक जाता और रात को मूवमेंट करता। उसको पकड़ने के लिए ड्रोन और सीसीटीवी फुटेज की भी सहायता ली गई। पर वह पकड़ में नहीं आया और उसे ट्रेंकुलाइजर नहीं कि
या जा सका।